रंगभूमि--मुंशी प्रेमचंद

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... सूरदास भौंचक्का-सा रह गया। उसे स्वप्न में भी न सूझा था कि मिठुआ के मुँह से मुझे कभी ऐसी कठोर बातें सुननी पड़ेंगी। उसे अत्यंत दु:ख हुआ, विशेष इसलिए कि ...

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